Chandra Shekhar Azad

Chandra shekhar Azad Biography :- आज हम चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) के बारे में पढ़ेंगे। जिसके अन्तर्गत हम चंद्रशेखर आजाद की जीवनी (Chandra shekhar Azad Biography in Hindi), चंद्रशेखर आजाद का क्रांतिकारी जीवन (Information About Chandrashekhar Azad), चंद्रशेखर का नाम आजाद कैसे पङा (Azad Freedom Fighter) के बारे में जानेंगे।

Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi || चंद्रशेखर आजाद की जीवनी

No.-1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म = 23 जुलाई, 1906

No.-2. चंद्रशेखर आजाद का जन्मस्थान = मध्यप्रदेश के भाबरा गांव

No.-3. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु = 27 फरवरी 1931 (24 वर्ष की आयु)

No.-4. चंद्रशेखर आजाद का मृत्युस्थान = इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में

No.-5. चंद्रशेखर आजाद का पिता = पंडित सीताराम तिवारी

No.-6. चंद्रशेखर आजाद की माता = जगरानी देवी

No.-7. चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम = पंडित चंद्रशेखर तिवारी

No.-8. चंद्रशेखर आजाद की उपाधि = आजाद, क्विक सिल्वर

No.-9. चंद्रशेखर आजाद की शिक्षा = भाबरा, संस्कृत में उच्च शिक्षा के लिए उत्तरप्रदेश के वाराणसी के काशी विद्यापीठ में भेज दिया।

No.-10. चंद्रशेखर आजाद का राजनीति में प्रवेश = महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेना।

No.-11. चंद्रशेखर आजाद की उपलब्धियां = क्रांतिकारी नेता, राजनीतिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी

No.-12. चंद्रशेखर आजाद का प्रमुख संगठन = हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (1924)

Chandra Shekhar Azad Born || चंद्रशेखर आजाद का जन्म कहां हुआ

No.-1. चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

No.-2. अन्य मत के अनुसार चंद्रशेखर आजाद का जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले में बदरका गांव में हुआ था।

No.-3. चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था, जो अलीराजपुर रियासत में सेवारत थे।

No.-4. चंद्रशेखर आजाद के माता का नाम जगरानी देवी था।

No.-5. चंद्रशेखर आजाद के का पूरा नाम पंडित चंद्रशेखर तिवारी था।

No.-6. इनका शुरुआती जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मध्यप्रदेश के भाबरा गांव के भील जाति के बच्चों के साथ बीता।

No.-7. चन्द्रशेखर बचपन में ही आदिवासी क्षेत्र में रहने के कारण धनुष बाण चलाने की कला में निपुण हो गये थे।

Chandrashekhar Azad ki Shiksha || चन्द्रशेखर आजाद की शिक्षा

No.-1. चंद्रशेखर आज़ाद का परिवार गरीब था, इसलिए उन्हें अच्छी शिक्षा-दीक्षा नहीं मिल पायी थी।

No.-2. चन्द्रशेखर आजाद की प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में ही हुई।

No.-3. भाबरा गांव के ही एक बुजुर्ग व्यक्ति मनोहरलाल त्रिवेदी ने चंद्रशेखर एवं इनके भाई सुखदेव को घर पर ही निःशुल्क पढ़ना-लिखना सीखाया था। दोनों को अध्यापन का कार्य मनोहरलाल त्रिवेदी ही कराते थे।

No.-4. चंद्रशेखर की माता उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थी।

No.-5. चंद्रशेखर की माता जगरानी देवी की हठ के कारण संस्कृत में उच्च शिक्षा के लिए उनका दाखिला वाराणसी के काशी विद्यापीठ में करवाया गया। इस समय चंद्रशेखर की आयु मात्र 14 वर्ष ही थी।

No.-6. चन्द्रशेखर आज़ाद (Chandra Shekhar Azad) का मन पढ़ाई में नहीं लगता था, वह घर से बाहर भागने के अवसर तलाशते रहते थे।

No.-7. मनोहरलाल त्रिवेदी ने ही चन्द्रशेखर को तहसील में नौकरी भी दिलावा दी थी। ताकि इनका मन नौकरी में लगा रहे है और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधार जाए।

No.-8. लेकिन चन्द्रशेखर का मन नौकरी में भी नहीं लगा और वह उचित अवसर पाकर एक दिन घर से भाग गये।

No.-9. अंग्रेजी शासन भारत में पले-बढ़े आजाद (Azad) के रागों में शुरू से ही अंग्रेजों के प्रति नफरत भरी हुई थी।

No.-10. बचपन से ही चंद्रशेखर आजाद के दिल में देश को आजाद करने तथा देशप्रेम की भावना भरी हुई थी।

Information About Chandrashekhar Azad || चंद्रशेखर आजाद का क्रांतिकारी जीवन

No.-1. बचपन से ही चन्द्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) महात्मा गांधी से काफी प्रभावित हुए थे। चन्द्रशेखर आजाद देश को अंग्रेजों से आजाद करवाना चाहते थे।

No.-2. 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने भीषण नरसंहार किया।

No.-3. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड से चन्द्रशेखर आजाद (Chander Shekhar Azad) बहुत आहत एवं परेशान हुए तथा इसी घटना उन्हें क्रांति के पथ की ओर अग्रसर कर दिया।

No.-4. रामप्रसाद बिस्मिल चंद्रशेखर आजाद को क्विक सिल्वर कहकर पुकारते थे।

चंद्रशेखर का नाम आजाद कैसे पड़ा – Azad Freedom Fighter

No.-1. 1920-1921 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) शुरू किया, तो चन्द्रशेखर आजाद ने इस आंदोलन में भाग लिया।

No.-2. असहयोग आन्दोलन की क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण चन्द्रशेखर को गिरफ्तार कर लिया गया। पंद्रह वर्ष की उम्र में मिली यह चन्द्रशेखर के जीवन की पहली सजा दी थी। गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा चला गया।

No.-3. असहयोग आन्दोलन की क्रांतिकारी गतिविधियों की कार्यवाही न्यायाधीश खारेघाट नामक एक पारसी व्यक्ति ने की। जब मजिस्ट्रेट ने उनका नाम पूछा, तब चन्द्रशेखर ने निर्भीकता से अपना नाम ’आजाद’, पिता का नाम ’स्वतंत्रता’ और घर का नाम ’जेलखाना’ बताया। उनका उत्तर सुनकर न्यायाधीश खारेघाट क्रोधित हो गये।

No.-4. कम उम्र की वजह से उन्हें जेल की सजा न देकर 15 कोङों की सजा सुनवाई गई। हर कोङे पर युवा चंद्रशेखर (Chandrashekar) ने ’भारत माता की जय’ एवं ’महात्मा गांधी की जय’ और ’वन्दे मातरम्’ का स्वर बुलंद किया। तब से चंद्रशेखर को ‘आजाद (Azad)’ की उपाधि मिली और वह आजाद (aazad) के नाम से विख्यात हो गए।

No.-5. आजाद ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह कभी भी ब्रिटिश सरकार की पुलिस के हाथों गिरफ्तार नहीं होंगे और वह एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में मर जाएंगे।

No.-6. 1922 में महात्मा गांधी ने चौरी-चौरी कांड के कारण असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। इससे चन्द्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad in Hindi) बहुत आहत और अधिक उग्र हो गये।

No.-7. Chandra shekhar Azad ने भारत देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने की ठान ली। बाद में वे महात्मा गांधी को छोङकर क्रांतिकारी गतिविधियों से जुङ गये।

No.-8. Chandra shekhar Azad ने क्रांतिकारी संग्राम को ही अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बङा शस्त्र समझा। वे मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी के सम्पर्क में आये और क्रांतिकारी दल के सदस्य बन गये।

No.-9. गिरफ्तारी से बचने के लिए चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad in Hindi) ने कुछ समय के लिए झांसी को अपना निवास तथा क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बना लिया।

No.-10. झांसी से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओरछा के जंगलों में आजाद ने क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया।

No.-11. ओरछा के जंगलों में अपने दल के सदस्यों को निशानेबाजी के लिए प्रशिक्षित करते थे। साथ ही छद्म नाम से बच्चों को पढ़ाया भी करते थे।

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन – Hindustan Republican Association (H.R.A.)

No.-1. 1924 में शचीन्द्रनाथ सान्याल ने कानपुर में ’हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (H.R.A.) का गठन किया।

No.-2. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन संस्था का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से अंग्रेजी साम्राज्य को समाप्त करना।

No.-3. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन संस्था का बहुचर्चित पर्चा ’द रिवोल्यूशनरी’ पूरे भारत में बांटा गया, जिसमें इस संस्था की नीतियों का उल्लेख था।

No.-4. हिन्दुस्तान रिपलब्लिकन एसोसिएशन के चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad History in Hindi) सक्रिय सदस्य बने।

No.5. इस संघ में रहते हुए चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad History) ने ’बंदी जीवनएवं लेनिन की जीवनी नामक दो ग्रथों का अध्ययन किया।

No.-6. अंग्रेजों को सब सीखने और देश को गुलामी से आजाद कराने के मकसद से उन्होंने कई क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया।

काकोरी काण्ड – Kakori Kand

No.-1. क्रांतिकारियों द्वारा किये जा रहे स्वतन्त्रता आंदोलन की गतिविधियों को चलाने के लिए उनको धन की आवश्यकता थी। इसलिए 8 अगस्त 1925 रामप्रसाद बिस्मिल के घर शाहजहाँपुर में एक बैठक हुई थी, जिसमें रामप्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूट की योजना बनायी।

No.-2. अंग्रेजी सरकार का खजाना लूट की योजना का उद्देश्य – धन का प्रबन्ध करना था। इस योजना के अनुसार शाहजहांपुर से 10 लोगों सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली ’आठ डाउन पैसेन्जर ट्रेन’ में सवार हो गये।

काकोरी काण्ड को अंजाम देने वाले 10 व्यक्ति

No.-1. रामप्रसाद बिस्मिल

No.-2. राजेन्द्र लाहिङी

No.-3. रोशन सिंह

No.-4. अशफाक उल्ला खां

No.-5. चन्द्रशेखर आज़ाद

No.-6. सचिन्द्रनाथ बक्सी

No.-7. मन्मथनाथ गुप्ता

No.-8. केशव

No.-9. बनारसी लाल

No.-10. मुकुन्द लाल

No.-3. इन्होंने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन को रोककर ट्रेन का सरकारी खजाना लूट लिया। इसे ही ’काकोरी कांड’ कहा जाता है।

No.-4. काकोरी कांड में 4 जर्मन माउजर पिस्तौल का प्रयोग किया गया।

No.-5. काकोरी कांड घटना के बाद हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 सदस्यों को गिरफ्तार करके उन पर ’काकोरी षड्यंत्र केस’ चला गया।

No.-6. जिसमें 19 दिसम्बर 1927 को राजेन्द्र लाहिङी को गोंडा जेल, रोशनसिंह को नैनी (इलाहाबाद) जेल, रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल, अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद जेल में (4 लोगों को) फांसी दे दी गई।

No.-7. शचीन्द्र सान्याल और भूपेन्द्रनाथ सान्याल को आजीवन कारावास की सजा दी गयी। चंद्रशेखर आजाद ((About Chandrashekhar Azad)) और भगत सिंह को ब्रिटिश सरकार नहीं पकङ पायी, वे फरार हो गये।

चंद्रशेखर आजाद का हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन – Hindustan Socialist Republican Association of Chandrashekhar Azad

No.-1. अंग्रेजी हुकुमत को जङ से ऊखाङ फेंकने के लिए ’हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का पुनर्गठन करके 10 सितम्बर 1928 को चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर दिल्ली में (फिरोजशाह कोटला मैदान) ’हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन किया। उस समय चले रहे क्रांतिकारी संगठन तथा भगत सिंह की नौजवान सभा इस संस्था में शामिल हो गयी।

No.-2. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख नेता – चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, शिव वर्मा, भगवती चरण वोहरा, जय गोपाल, विजयकुमार सिन्हा, फणीन्द्रनाथ घोष, कुन्दन लाल आदि।

No.-3. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का उद्देश्य – क्रांतिकारी आन्दोलन और भारत में समाजवादी गणतन्त्र की स्थापना। इस संस्था ने तीन घटनाओं को अंजाम दिया था – साण्डर्स की हत्या (1928), असेम्बली बम काण्ड (1929), लाहौर षड्यन्त्र केस (1929)।

Freedom Fighter Chandra shekhar Azad in Hindi

सांडर्स की हत्या – Sandars Ki Hatya

No.-1. 1928 में साइमन कमीशन भारत आया। 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध किया गया।

No.-2. लाहौर में लाला लाजपतराय विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। जे.ए. स्काट के आदेश पर सहायक पुलिस अधीक्षक जे.पी. साण्डर्स ने लाठीचार्ज कर दी।

No.-3. इस लाठीचार्ज में एक लाठी लाला लाजपतराय के सिर पर लगी जिससे वे घायल हो गये और 17 नवम्बर 1928 को (एक महीने) उनकी मृत्यु हो गयी।

No.-4. लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने स्काट की हत्या करने की योजना बनाई।

No.-5. एक महीने के बाद 17 दिसंबर 1928 को चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने गलती से स्काट की हत्या के स्थान पर साण्डर्स की हत्या कर दी।

No.-6. लाहौर में जगह-जगह पर्चे चिपकाये गये कि लाला जी की मृत्यु का बदला ले लिया गया है।

असेंबली बम कांड – Assembly Bomb Case

No.-1. चन्द्रशेखर आज़ाद (Chandra Shekhar Azaad) के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज लगातार बुलंद हो रही थी। उनके दल के साथ कई युवा जुङ चुके थे और आजाद की योजना को अंजाम दे रहे थे।

No.-2. 8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय विधानसभा में पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट बिल पास किये जाने थे। ये दोनों ही दमनकारी बिल थे। उस समय केन्द्रीय विधानसभा के अध्यक्ष विट्ठल भाई पटेल थे। इस बिल के मुताबिक किसी को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता था।

No.-3. चंद्रशेखर आजाद ने बहरे कानों तक आवाज पहुंचाने की ठानी ली तथा मनमाने कानून का विरोध करने की योजना बनाई।

No.-4. चंद्रशेखर आजाद (About Chandra Shekhar Azad) के सफल नेतृत्व में 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली भेज गया।

No.-5. जहाँ भगतसिंह एवं बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय असेंम्बली में 2 बम फेंके तथा पर्चे बांटे एवं ’इंकलाब जिन्दाबाद’, ’साम्राज्यवाद का नाश हो’ के नारे दिये गये थे। यह बिल्कुल ही मामूली विस्फोट था।

No.-6. यह विस्फोट किसी को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया था। इस घटना के बाद भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने स्वयं गिरफ्तारी दे दी, क्योंकि वे न्यायालय को क्रांतिकारी के प्रचार का माध्यम बनाना चाहते थे। उसके बाद उन पर मुकदमा चला गया। चन्द्रशेखर आजाद को पुलिस नहीं पकङ पाई, वह भाग गये।

No.-7. इन नेताओं पर लाहौर षड्यंत्र केस (1929) चलाया गया। लाहौर षड्यंत्र केस (1929) के अन्तर्गत भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को लाहौर में फांसी की सजा दे दी गई।

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कहां हुई – Chandra Shekhar Azad Death

चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में हुई।

चन्द्रशेखर आज़ाद की मृत्यु कैसे हुई थी – Chandrashekhar Azad Ki Mrityu Kaise Hui

No.-1. जानकारों से पता चलता है कि पुलिस चन्द्र शेखर आज़ाद को जिंदा या मुर्दा गिरफ्तार करना चाहती थीं। 27 फरवरी, 1931 को चन्द्रशेखर आज़ाद अपने दो साथियों से इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मिले।

No.-2. अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर सुखदेव राज के साथ आगे की योजना की बातचीत कर रहे थे। तभी एक मुखबिर की सूचना पर लखनऊ के पुलिस अधीक्षक सर जान नाटबाबर ने पार्क को घेर लिया और आजाद को समर्पण करने का आदेश दिया।

No.-3. पुलिस से उनके ऊपर गोली चलानी शुरू कर दी, तब आताद ने सुखदेव राज को तो वहाँ से भाग दिया और आजाद अकेले ही बहादुरी से लङे और तीन पुलिसवालों को मार दिया।

No.-4. पुलिसकर्मियों से लङते समय वह पूरी तरह से घायल हो गये थे और उनके बंदूक की गोलियाँ भी समाप्त हो रही थी।

No.-5. आजाद ने अपनी बंदूक की अंतिम गोली अपने सिर पर दाग दी। इस तरह से उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी कि”वह जीवित ब्रिटिश सरकार के हाथ न आयेंगे।”

चंद्रशेखर आजाद के नारे – Chandra Shekhar Azad Ke Nare

No.-1. ’’देश पर जिसका खून न खोले, खून नहीं वो पानी है, जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है।’’

No.-2. ’’दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे, आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे।’’

No.-3. चंद्रशेखर आजाद के अनमोल वचन – Chandra Shekhar Azad Quotes

No.-4. ’’चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में है इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में है मौत जहां उन्नत हो ये बात मेरे वतन में है कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है।’’

No.-5. ’’यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है।’’

No.-6. ”’मौत जहाँ जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है कुर्बानी का जज्बा मेरे कफन में है।’’

No.-7. ’’दूसरे आपसे बेहतर कर रहे है ये नहीं देखना चाहिए हर दिन अपने ही रिकाॅर्ड को तोङिये क्योंकि सफलता की लङाई आपकी खुद से है।’’

No.-8. ’’एक विमान जब तक जमीन पर है वह सुरक्षित रहेगा, लेकिन विमान जमीन पर रखने के लिए नहीं बनाया जाता, बल्कि ये हमेशा महान ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए जीवन में कुछ सार्थक जोखिक लेने के लिए बनाया जाता है।’’

चंद्रशेखर आजाद से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न – Chandra Shekhar Azad Ke Question Answer

Que.-1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म कब हुआ था ?

Ans. 23 जुलाई 1906

Que.-2. चन्द्रशेखर आजाद का जन्म कहाँ हुआ था ?

Ans. मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में

Que.-3. चंद्रशेखर आजाद के पिता का क्या नाम था ?

Ans. सीताराम तिवारी

Que.-4. चंद्रशेखर आजाद की माता का नाम क्या था ?

Ans. जगरानी देवी

Que.-5. चन्द्रशेखर आजाद को पढ़ना-लिखना किसने सीखाया था ?

Ans. भाबरा गांव के ही एक बुजुर्ग व्यक्ति मनोहरलाल त्रिवेदी ने चन्द्रशेखर एवं इनके भाई सुखदेव को घर पर ही निःशुल्क पढ़ना-लिखना सीखाया था।

Que.-6. चन्द्रशेखर आजाद संस्कृत के विद्वान बनने के लिए कहाँ गये ?

Ans. उनकी माता जगरानी देवी की हठ के कारण संस्कृत में उच्च शिक्षा के लिए उनका दाखिला वाराणसी के काशी विद्यापीठ में करवाया गया। इसी कारण इन्हें बनारस जाना पङा।

Que.-7. किस घटना ने चंद्रशेखर आजाद को क्रांति के पथ की ओर अग्रसर कर दिया ?

Ans. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (13 अप्रैल 1919)

Que.-8. चंद्रशेखर आजाद का पूरा नाम क्या था ?

Ans. पंडित चंद्रशेखर तिवारी

Que.-9. चंद्रशेखर आजाद ने गांधीजी के कौनसे आन्दोलन में भाग लिया ?

Ans. 1920-1921 महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में

Que.-10. चंद्रशेखर आजाद ने कितनी वर्ष की आयु में ’असहयोग आंदोलन’ में भाग लिया था ?

Ans. 15 वर्ष की आयु में

Que.-11. चंद्रशेखर आजाद की पहली गिरफ्तारी किस आन्दोलन में हुई ?

Ans.असहयोग आदोलन (1920-1921)

Que.-12. चंद्रशेखर पर मुकदमा चलने पर उसने मजिस्ट्रेट को अपना नाम, पिता एवं पता क्या बताया ?

Ans. जब मजिस्ट्रेट ने उनका नाम पूछा, तब चन्द्रशेखर ने निर्भीकता से अपना नाम ’आजाद’, पिता का नाम ’स्वतंत्रता’ और घर का नाम ’जेलखाना’ बताया।

Que.-13. चंद्रशेखर आजाद ने क्या प्रतिज्ञा ली थी ?

Ans. चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह कभी भी ब्रिटिश सरकार की पुलिस के हाथों गिरफ्तार नहीं होंगे और वह एक स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में मर जाएंगे।

Que.-14. ’हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन कब और किसने किया ?

Ans. 1924 में शचीन्द्रनाथ सान्याल ने कानपुर में ’हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन किया।

Que.-15. चन्द्रशेखर आजाद ’हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्य कब बनें थे ?

Ans. 1924

Que.-16. काकोरी कांड कब हुआ था ?

Ans. 9 अगस्त 1925

Que.-17. काकोरी कांड का उद्देश्य क्या था ?

Ans. सरकारी खजाने को लूटना

Que.-18. काकोरी कांड में लूटी गई ट्रेन का नाम क्या था ?

Ans. आठ डाउन पैसेन्जर ट्रेन

Que.-19. काकोरी कांड में किन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया ?

Ans. 19 दिसम्बर 1927 को राजेन्द्र लाहिङी को गोंडा जेल, रोशनसिंह को नैनी (इलाहाबाद) जेल, रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल, अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद जेल में (4 लोगों को) फांसी दी गई।

Que.-20. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन संस्था का पुनर्गठन करके चंद्रशेखर आजाद ने कौनसी संस्था बनाई ?

Ans. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

Que.-21. चंद्रशेखर आजाद ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना कब और कहाँ की ?

Ans. 10 सितम्बर 1928 को चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर फिरोजशाह कोटला मैदान, दिल्ली में।

Que.-22. साण्डर्स की हत्या कब और किसने की ?

Ans. 17 दिसंबर 1928 को चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने।

Que.-23. असेम्बली बम काण्ड कब हुआ ?

Ans. चन्द्रशेखर आजाद के सफल नेतृत्व में 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केन्द्रीय असेंबली बम काण्ड किया।

Que.-24. लाहौर षड्यंत्र केस (1929) के अन्तर्गत किनको फांसी दी गई ?

Ans. लाहौर षड्यंत्र केस (1929) के अन्तर्गत भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को लाहौर में फांसी की सजा दे दी गई।

Que.-25. इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद किसके साथ बातचीत कर रहे थे ?

Ans. सुखदेव राज के साथ

Que.-26. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कहां हुई ?

Ans. 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में

Que.-27. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कैसे हुई थी ?

Ans. 27 फरवरी, 1931 को चंद्रशेखर आजाद सुखदेव राज के साथ आगे की योजना की बातचीत कर रहे थे। तभी एक मुखबिर की सूचना लखनऊ के पुलिस अधीक्षक सर जाॅन नाटबाबर ने पार्क को घेर लिया और आजाद को समर्पण करने का आदेश दिया। पुलिसकर्मियों से लङते समय वह पूरी तरह से घायल हो गये थे और उनके बंदूक की गोलियाँ भी समाप्त हो रही थी। आजाद ने अपनी बंदूक की अंतिम गोली अपने सिर पर दाग दी।

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